Monday, March 20, 2017

Aasmaan ne kaha,
Jo bhi hamari panaah Mei aaya, 
humne Bas pyaar diya hai

Dharti ne kaha, 
Jo bhi hamari god Mei aaya 
humne Bas pyaar diya hai

Hawaaon ne kaha
Jisne bhi  hamen  mehsoos kiya, 
humne Bas pyaar diya hai

Nadiya ne kaha, 
Jo bhi hamare tat par aaya, 
humne Bas pyaar diya hai

Ped ne kaha,
 jo bhi hamari chaanv Mei baitha, 
humne Bas pyaar diya hai

Phoolon ne kaha, 
Jo bhi hamare kareeb se gujra, 
humne Bas pyaar diya hai

Bas, yoon hi
Jo bhi hamari jindagi Mei aaya
Humne Bas, pyaar diya hai

Is prakriti ki tarah
Swa Mei sthit rah kar
Sneh, apnapan diya hai

Atmabhaar _/\_

Wednesday, May 14, 2014

जाने किस प्यास में 
जाने किस आस में 
दिल ये बरसों 
सुलगता रहा 
व्यर्थ की भटकन 
व्यर्थ की तृष्णा 
बेहताशा दौड़ता रहा
पा लूं, पा लूं, पा लूँ
पर क्या ?
जिससे क्षुधा शांत हो
ज्वर शीतल हो
मन तृप्त हो,
भटकते भटकते निढाल हो
अकर्मना बैठ गया
फिर एक पवन का झोंका
छू कर करीब से गुजर गया
महक, सुवास आने लगी
रस घुलने लगा
रोम रोम पुलकित हो उठा
वन वन भटकता हिरन
कस्तूरी की चाह में,
आखिर कर पाया
अपने ही भीतर

_/\_ atmabhaar _/\_

Sunday, August 28, 2011

जिंदगी-बहता पानी




जिंदगी हाथों से फिसलनी है,
फिसल ही जायेगी|

है जब तक....मुस्कुरा लें
झूम लें, गीत गा लें|

अच्छे-बुरे का, पाप-पुण्य का
हिसाब किताब ले क्यों बैठें?

सरलता से, सहजता से
बस, हर पल जी लें|

 पानी बहता ही अच्छा
राहें चलती ही अच्छी|

पल, पल से कदम मिला,
समय संग हम चलते रहें|

पार कर गए जो मुकाम,
पीछे  पलट कर क्यों देखें?

बाँध कर अतीत का बोझ,
सफ़र भारी क्यों करें?

पानी सागर की और ही बहता,
राहें मंजिल की तरफ ही बढती|

चलते, चलते यूं हम भी,एक दिन,
प्रभु प्रीतम को पा ही जायेंगे|

रूपांतरण




जटिल थी मैं,
सरल हो गयी हूँ|

मुश्किल थी मैं,
आसान हो गयी हूँ|

उलझी थी मैं,
सुलझ गयी हूँ|

भारी थी मैं,
हलकी हो गयी हूँ|

शोर थी मैं,
मौन/शांत हो गयी हूँ|

स्थूल थी मैं,
सूक्ष्म हो गयी हूँ|

प्रयास, कोशिश थी मैं,
सहज हो गयी हूँ|


गुरुदेव




पत्थर हूँ मैं, मुझे तराश दीजिये
मिटटी हूँ मैं, मुझे आकार दीजिये|

बरसों से तलाश जिसकी
जन्मों से इंतज़ार जिसका
एक अपना, एक आत्मज
एक उद्धारक, एक तारक|

संसार पाया हर जनम में
रिश्ते-नाते बने हर जनम में|
एक रिश्ता जिससे अनजान हूँ
जोड़ कर तार मुझे बाँध लिजिए|

शिष्य बना  अपना, मुझे कृतार्थ करें
कृपा दृष्टि बस एक बार कर दें|
कौन मुझसे मेरी पहचान कराएं
कौन मुझे परमात्मा तक पहुंचाएं?


स्व हित साधो पर हित साधो




नदी प्यासी नहीं भटकती है
दूसरों की प्यास बुझाती है

पेड़ भूखा नहीं मरता है
औरों की भूख मिटाता है

सावन प्यासा नहीं रहता
औरों कि प्यास बुझाता है

दीपक अंधेरों में नहीं भटकता है
औरों को राह दिखाता है 

मांझी अकेले पार नहीं उतरता है
औरों को भी पार उतारता है

महापुरुष अकेले नहीं उठते
औरों को भी  उठाते है

धर्म केवल अच्छे को ही नहीं 
पापी को भी शरण देता है

परमात्मा अकेले नहीं तरते
औरों को भी तारते है |


प्रभु कृपा ऐसी




प्रभु की कृपा ऐसी कि
अँधेरे उजाले में बदल जायें
दुःख सुखरूप बन जायें
दुर्बलताएं शक्ति बन जायें
कमजोरियां ताकत बन जाएँ
लघु महान बन जायें
हार जीत बन जायें
गुणहीन गुणवान बन जायें
इन्सान भगवान् बन जायें|