Sunday, July 24, 2011

नये चोंगे मिलते रहेंगे

डगमगाई है कश्ती,
और डूब भी गए हम|
फिर भी मिटते नहीं हम|
किनारे न पहुंचे जब तक,
कश्तियाँ नई मिलती जायेंगी|

लडखडाये है कदम,
घायल हुए, और मर भी गए हम|
फिर भी ख़तम न हुआ सफ़र|
मंजिल न पा लें जब तक,
नए तन के चोले मिलते रहेंगें|

गलतियाँ बहुत किये,
अनुतीर्ण भी हो गए हम|
पर इम्तिहान न ख़त्म हुआ|
उत्तीर्ण न हो जाए जब तक,
नए पर्चे मिलते ही जायेंगें|



साथ तुम रहना



 अनजाना ये सफ़र ज़िन्दगी का
साथ तुम रहना, पहचाने प्रभु|

हो सदा, राहें मेरी रौशन
ये दुआ नहीं मांगती,
पर जब कभी अँधेरा छाये 
हाथों में मेरे तेरा हाथ रहे|

रहे सदा बहार का मौसम
ये तमन्ना भी नहीं, प्रभु
पर जब खिज़ा का मौसम छाये
पुनः नए सृजन का विस्वास रहे|

सिर्फ सुख का मिले वरदान
ऐसी खुदगर्जी नहीं, भगवन
जब भी मगर दुःख आये
मन समता भाव में रहे|

अनुकूल हो हर परिस्थिति
ये भी इल्तजा नहीं, प्रभु,
जब प्रतिकूलता कभी आये
तो मनस्तिथि स्वस्थ बनी रहे|


हर पल अनमोल

हर लम्हा ज़िन्दगी का
है खूबसूरत,अनमोल,
फिर कुछ ही लम्हें
हम मानते ख़ास क्यों?
कितने पलों की क़ुरबानी पर
बनते ये कुछ पल ख़ास|

हर दिन जिंदगी का
एक नायाब तोहफा है,
फिर कुछ ही दिन
हम मानते यादगार क्यों?
कितने दिनों के इंतज़ार ने
किया वो एक दिन साकार|

आज के, अभी के पल में
क्या ख़ूबसूरती की कमी है?

जो ये नादान दिल
अतीत के मधुर पलों का
बार बार रसपान करता,
या फिर भविष्य की
सुनहरी ख्वाबों के नगर 
के सैर सपाटे करने निकल जाता|

आज का ये पल, ये क्षण 
गीली मिटटी है हमारे हाथों में,
जो चाहे इसे हम आकार दे दें
यही पल हमारी कर्म भूमि है|  


खेत तैयार है



प्रभु नाम जप के हल से
खेत जोया
तमन्ना, कामना, इच्छा का
हर कंकड़, पत्थर निकाल फेंका,
श्रद्धा का बीज भी बो दिया
आत्मा की खेत अब तैयार है
बस, प्रभु कृपा की
अब सावन  बरस जाए|


ऐ जिंदगी

ऐ जिंदगी,
तुझे खूबसूरत करार देनें को मुझे,
किसी नाम की जरूरत नहीं|

तुझे भरपूर मानने को मुझे,
किसी वस्तु, पदार्थ की जरूरत नहीं|

तुझे अपना समझने को मुझे,
रिश्तों  की, अपनों की जरूरत नहीं|

कोई हो न हो, कुछ हो न हो
तू अपने आप में खूबसूरत है|

खुदा की बख्शी यह जिंदगी
बिना किसी आलंबन, सहज ही पूर्ण  है|