नये चोंगे मिलते रहेंगे
डगमगाई है कश्ती,
और डूब भी गए हम|
फिर भी मिटते नहीं हम|
किनारे न पहुंचे जब तक,
कश्तियाँ नई मिलती जायेंगी|
लडखडाये है कदम,
घायल हुए, और मर भी गए हम|
फिर भी ख़तम न हुआ सफ़र|
मंजिल न पा लें जब तक,
नए तन के चोले मिलते रहेंगें|
गलतियाँ बहुत किये,
अनुतीर्ण भी हो गए हम|
पर इम्तिहान न ख़त्म हुआ|
उत्तीर्ण न हो जाए जब तक,
नए पर्चे मिलते ही जायेंगें|