जिंदगी हाथों से फिसलनी है,
फिसल ही जायेगी|
है जब तक....मुस्कुरा लें
झूम लें, गीत गा लें|
अच्छे-बुरे का, पाप-पुण्य का
हिसाब किताब ले क्यों बैठें?
सरलता से, सहजता से
बस, हर पल जी लें|
पानी बहता ही अच्छा
राहें चलती ही अच्छी|
पल, पल से कदम मिला,
समय संग हम चलते रहें|
पार कर गए जो मुकाम,
पीछे पलट कर क्यों देखें?
बाँध कर अतीत का बोझ,
सफ़र भारी क्यों करें?
पानी सागर की और ही बहता,
राहें मंजिल की तरफ ही बढती|
चलते, चलते यूं हम भी,एक दिन,
प्रभु प्रीतम को पा ही जायेंगे|