Sunday, August 28, 2011

मैं से मैं तक




पहले भी अकेली थी मैं
और आज भी अकेली हूँ,
पर तब मैं तन्हाह थी
और आज  एकाकी हूँ|

पहले भी ख़ामोशी थी
और आज भी ख़ामोशी हैं,
पर तब ये चुप्पी थी
और आज ये मौन है|

जितनी करीब जिंदगी तब थी
आज भी उतनी करीब है,
पर तब  एक पहेली थी
और आज  सहेली है|

तब भी मैं 'मैं' थी
और आज भी मैं 'मैं' हूँ,
पर तब अहंकार का मैं था
और आज आत्मबोध का मैं|


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