नदी प्यासी नहीं भटकती है
दूसरों की प्यास बुझाती है
पेड़ भूखा नहीं मरता है
औरों की भूख मिटाता है
सावन प्यासा नहीं रहता
औरों कि प्यास बुझाता है
दीपक अंधेरों में नहीं भटकता है
औरों को राह दिखाता है
मांझी अकेले पार नहीं उतरता है
औरों को भी पार उतारता है
महापुरुष अकेले नहीं उठते
औरों को भी उठाते है
धर्म केवल अच्छे को ही नहीं
पापी को भी शरण देता है
परमात्मा अकेले नहीं तरते
औरों को भी तारते है |
परमात्मा अकेले नहीं तरते
ReplyDeleteऔरों को भी तारते है |
शशि जी,परमात्मा तो तारनहार हैं.
वे कभी 'तरते' नहीं,स्वछन्द और सैदेव नित्य मुक्त हैं.