Sunday, August 28, 2011

जिंदगी ने सब सिखा दिया




न अपने रहे, न सपने रहे
अब छलने  के लिए
'स्व' में हम स्थिर हो गए|

न राह कोई, न मंजिल कोई
अब क़दमों को उकसाए
मुकाम खुद मंजिल हो गए|

न सूरज की, न चाँद की
अब मैं बाट निहारूं
मैं तो स्वयं 'दीया' बन गयी|

न सपना कोई, न ख्वाब कोई
अब नैनों को भरमाये
यथार्थ की अब दृष्टि  हो गई|

न साथी की, न हमसफ़र की
अब कोई तमन्ना है
'आत्मसाथ' जो पा लिया हमने|

न गुरु  की, न ज्ञान की अपेक्षा
कुछ सीखने के लिए
जिंदगी न सब सिखा दिया हमें|




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