Sunday, August 28, 2011

जिंदगी-बहता पानी




जिंदगी हाथों से फिसलनी है,
फिसल ही जायेगी|

है जब तक....मुस्कुरा लें
झूम लें, गीत गा लें|

अच्छे-बुरे का, पाप-पुण्य का
हिसाब किताब ले क्यों बैठें?

सरलता से, सहजता से
बस, हर पल जी लें|

 पानी बहता ही अच्छा
राहें चलती ही अच्छी|

पल, पल से कदम मिला,
समय संग हम चलते रहें|

पार कर गए जो मुकाम,
पीछे  पलट कर क्यों देखें?

बाँध कर अतीत का बोझ,
सफ़र भारी क्यों करें?

पानी सागर की और ही बहता,
राहें मंजिल की तरफ ही बढती|

चलते, चलते यूं हम भी,एक दिन,
प्रभु प्रीतम को पा ही जायेंगे|

2 comments:

  1. सरलता से, सहजता से
    बस, हर पल जी लें|

    सरलता और सहजता ही सबसे कठिन हैं, शशि जी.
    श्रीरामचरितमानस में श्री राम जी द्वारा शबरी को दिए गए
    नवधा भक्ति के उपदेश अनुसार 'सरलता' नवधा भक्ति में
    अंतिम नवम भक्ति बताई गई है.

    आपकी सुन्दर , सरल भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आभार.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा.

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  2. शशी जी नमस्कार। सुन्दर अभिव्यक्ति जीवन से सम्बंन्धित। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।

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